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Showing posts from June, 2025

Nazar andaz (ignorance)

आजकल मैंने उसे नज़रअंदाज़ कर रखा है, उसके लिए जो एहसास थे, जज़्बात थे उन्हें धीमी आँच पर रखा है। ✍️ मिडनाइट शायरी

कर्ज़

वोह जो वक्त था, गुज़ार चुका हूं मैं, मुझ पर जो भी था कर्ज़, उतार चुका हूं मैं, अब मुझे ज़िंदगी में किसी और से कोई उम्मीद नहीं हैं। जो कुछ भी बिखरा था , वह सब कुछ संवार चुका हूँ मैं |