Bheegi Zulfein July 11, 2018 सुबह कुछ युँ सुखायी तुमने अपनी भीगी ज़ुल्फें, वहाँ पुरे शहर में तर-बतर बारिश हो गई। ✍ साबिर 🌹 Share Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps Share Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps Comments
पछतावा September 11, 2022 वो ज़ाहिर नहीं करता अपने चेहरे से पछतावा, मिलता है जब भी मुझसे, हँसकर मिलता है। ✍️ मिडनाइट शायरी Read more
Masakkali May 08, 2018 मेरी पहली मोहब्ब्त तो नहीं थीं तुम, लेकिन हाँ दिल का एक कोना तुम्हारे नाम भी था मसक्कली । ✍ साबिर 🌹 Read more
Happy Independence Day August 15, 2019 ना सबब पूछो हमारी वतन परस्ती का, ये तिरंगा मेरी रूह से लिपटा है। 🇮🇳 हिंदुस्तान ज़िंदाबाद 🇮🇳 ✍️ साबिर Read more
Comments
Post a Comment