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Football

Midnight Shayari

फुटबॉल सी है ज़िंदगी मेरी,
लोग करीब आते हैं लेकिन ठोकर मारने के लिए।



✍ साबिर 🌹

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पछतावा

 वो ज़ाहिर नहीं करता अपने चेहरे से पछतावा, मिलता है जब भी मुझसे, हँसकर मिलता है। ✍️ मिडनाइट शायरी

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ना सबब पूछो हमारी वतन परस्ती का, ये तिरंगा मेरी रूह से लिपटा है। 🇮🇳 हिंदुस्तान ज़िंदाबाद 🇮🇳 ✍️ साबिर