Skip to main content

Fikra

जिन्हें फ़िक्र है मेरी वो आज भी ताल्लुक़ रखते है मुझसे,
करते थे जो दिखावा, वो अलाहिदा हो गए मुझसे।

✍ साबिर

ताल्लुक़ = टच में रहना
अलाहिदा = अलग होना

Comments

Popular posts from this blog

पछतावा

 वो ज़ाहिर नहीं करता अपने चेहरे से पछतावा, मिलता है जब भी मुझसे, हँसकर मिलता है। ✍️ मिडनाइट शायरी

Masakkali

मेरी पहली मोहब्ब्त तो नहीं थीं तुम, लेकिन हाँ दिल का एक कोना तुम्हारे नाम भी था मसक्कली । ✍ साबिर 🌹

Happy Independence Day

ना सबब पूछो हमारी वतन परस्ती का, ये तिरंगा मेरी रूह से लिपटा है। 🇮🇳 हिंदुस्तान ज़िंदाबाद 🇮🇳 ✍️ साबिर